लेखनी कहानी -10-Apr-2023 क्या यही प्यार है
भाग 4
आनंद और अनुसूइया घंटों बातें करते रहे । मस्ती वाइन बार का मालिक वहां आया और कहने लगा "मिस लिली ! आप कबसे यहां बैठकर गप्पें लगा रही हो और वहां कस्टुमर हो हल्ला मचा रहे हैं । आपको यहां काम करने के लिए रखा है या गप्पें हांकने के लिये" ? उसका तीखा लहजा अनुसूइया को अंदर तक बींध गया । उसका चेहरा जो अभी तक निर्मल , ताजा कंवल की तरह खिला हुआ था, एक झटके में उतर गया । उसे उम्मीद नहीं थी कि वे ऐसा व्यवहार करेंगे । लेकिन हकीकत सामने थी । उसकी आंखें छलछला आयीं । उसने मुंह फेरकर अपने आंसू छिपाने चाहे मगर आनंद की आंखों से वे आंसू छुप न सके ।
आनंद को थोड़ा गुस्सा आ गया । वह बोला "मिस्टर, कुछ तमीज है या नहीं आपमें ? एक महिला से इस तरह बात की जाती है क्या" ?
"अब आप सिखाऐंगे तमीज मुझे ? देखिए मिस्टर जो कोई भी , आप मेरे और मिस्टर लिली के पचड़े में ना ही पड़ें तो ठीक रहेगा । मिस लिली मेरी सर्वेण्ट हैं इसलिए मैं उन्हें डांट भी सकता हूं , समझे" ?
आनंद का चेहरा तमतमा गया । "आपके यहां काम करती हैं वो, आपकी सर्वेण्ट नहीं है मिस लिली । यह गलतफहमी अपने दिल से निकाल दो कि वह आपकी नौकर है । और हां, आज से अनुसूइया जी आपके यहां काम भी नहीं करेंगी । समझे मिस्टर" क्रोध से आनंद के नथुने फूल उठे थे ।
"ठीक है , आज ही अपना हिसाब कर लेना लिली । आज के बाद इस "बार" के दरवाजे तुम्हारे लिए सदैव के लिए बंद हो गये हैं । जाओ, दफा हो जाओ यहां से" । वह पैर पटकता हुआ चला गया ।
अनुसूइया के पास और कोई विकल्प नहीं था । वह अपने कमरे में जाकर अपना सामान समेटने लगी । आंसुओं में उसका चेहरा डूबा हुआ था । उसके पीछे पीछे आनंद भी आ गया । उसे देखकर अनुसूइया जोर जोर से रोने लगी । उसे इस बात का दुख नहीं था कि बॉस ने उसे डांटा । ऐसा तो वह पहले भी एक दो बार कर चुका है । पर आनंद के सामने डांटा, यह बात उसे बहुत नागवार गुजरी । उसकी नाराजगी इसी बात को लेकर थी । सारी पोल पट्टी खुल गई थी उसकी । आनंद के सामने वह स्वयं को क्या बता रही थी मगर उसने सब मटियामेट कर दिया । उसके मन में एक ही प्रश्न था "अब वह कहां जायेगी ? रात कैसे गुजारेगी वह ? अब नौकरी के लिए फिर से दर दर की ठोकरें खानी पड़ेंगी उसे" ? उसके चेहरे पर सारे भाव स्पष्ट नजर आ रहे थे ।
"चिंता करने की कुछ भी जरूरत नहीं है अनुसूइया जी । सब ठीक हो जायेगा । मैं आपके साथ हूं" । आनंद ने उसे दिलासा देने के लिए कहा ।
"क्या ठीक हो जायेगा सर ? अब मैं कहां जाऊं ? क्या करूं ? कुछ समझ नहीं आ रहा है" । रोते रोते बोली वह ।
"कुछ समझने की जरूरत भी नहीं है आपको । फिलहाल आप मेरे साथ चल रही हैं" । आनंद ने अधिकार पूर्वक कहा
"कहां" ?
"हमारी कंपनी के गेस्टहाउस में, और कहां" आनंद ने उसके नजदीक जाकर कहा ।
अनुसूइया ने आनंद की आंखों में देखा । वहां सच्चाई के सिवाय कुछ और नहीं था । पर वह आश्वस्त नहीं हुई "कब तक रहूंगी वहां" ?
"जब तक रहना चाहो । वैसे भी तुम अब मेरी कंपनी में मैनेजर बन गई हो तो तुम्हें एक फ्लैट दिलवाने की जिम्मेदारी भी कंपनी की ही है । कंपनी जल्दी ही तुम्हें फ्लैट दिला देगी" आनंद ने बड़े विश्वास के साथ कहा ।
"मैं और मैनेजर ? मुझे तो कुछ आता जाता नहीं है" । अनुसूइया के स्वर में घबराहट थी ।
"डोण्ट केयर । सब आ जायेगा । अब जल्दी करो , रात बहुत हो रही है । आपको खाना भी खाना है अभी" ।
"सिर्फ मुझे ? आपने भी तो नहीं खाया है अभी तक" ?
"अगर आप कहती हैं तो मैं आपका साथ दे दूंगा । वैसे जब से उसकी बेवफाई पता चली है, तब से रात का खाना खाना छोड़ दिया है मैंने" । आनंद ने मुस्कुरा कर कहा ।
"अरे वाह ! बेवफाई करे वो और खाना बंद करें आप ? ये कौन सा न्याय है ? आज से आप रोजाना रात को खाना खायेंगे"।
"मगर ..."
"अगर मगर कुछ नहीं । हमने कह दिया सो कह दिया । ठीक है । अब चलो यहां से" अनुसूइया नॉर्मल हो चुकी थी ।
दोनों आनंद की कार से आनंद के गेस्टहाउस में आ गये । आनंद ने पहले ही बोल दिया था इसलिए स्टाफ पहले से ही तैयार था । अनुसूइया का सारा सामान उतार कर उसके रूम में रखवा दिया । खाना तैयार था । आनंद ने पूछा "खाना रूम में लोगी या हॉल में" ?
"और आप" ?
"अरे भाई, मैं तो आपके हुक्म का गुलाम हूं । जहां आप लेंगी वहीं मैं भी ले लूंगा" । आनंद हंसते हुए बोला ।
"ठीक है , तो चलो कमरे में । खाना वहीं लेंगे" ।
आनंद ने इशारे से बोल दिया कि खाना कमरे में सर्व कर दें और वह अनुसूइया के साथ कमरे में आ गया ।
क्रमश :
श्री हरि
17.4.23
Gunjan Kamal
23-Apr-2023 08:09 PM
👏👌
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Hari Shanker Goyal "Hari"
24-Apr-2023 02:31 PM
🙏🙏
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अदिति झा
19-Apr-2023 06:28 PM
Nice part 👌
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Hari Shanker Goyal "Hari"
24-Apr-2023 02:31 PM
🙏🙏
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Sant kumar sarthi
18-Apr-2023 02:32 PM
बेहतरीन भाग
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Hari Shanker Goyal "Hari"
18-Apr-2023 03:12 PM
💐💐🙏🙏
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